आयुर्वेद और एलोपैथ को मिलाने के खिलाफ हुआ एएमए प्रयागराज

  पिछले दिनों भारत सरकार का आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के डाकटरों को सर्जरी करने सम्बन्धी प्रशिक्षण और सुविधा देने की बात की , जिसके तहत आयुवर्वेद के मास्टर की डिग्री ले चुके डॉक्टर 39 क्षेत्रों में सर्जरी कर सकते हैं , इसका विरोध ऑल इंडिया मेडिकल अएसोसिएशन ने किया था इसी क्रम में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने एक प्रेस वार्ता करके पत्रकारों को बताया कि आयुर्वेद पुराणी चिकित्सा पद्दति है , लेकिन उस विधा में विकास उस स्तर का नहीं हो पाया है कि आयुर्वेद को ओप्रशन में छूट दी जाय . इलाहाबाद मेडिकल; एसोसिएशन की तरफ से प्रेस वार्ता करते हुए डॉ एम के मदनानी ने कहा कि एमबीबीएस डॉक्टर को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है , जबकि आयुर्वेद के डॉक्टर को ऐसी ट्रेनिंग नहीं दी जाती है , आज पढ़ाई के दौरान एमबीबीएस , बीएमएस और बीएचएमएस की कटेगरी बानी हुई है . अगर इस तरह से सभी को मिक्स करना है तो यह कैटेगरी समाप्त करके सब डिग्री को मिला देना चाहिए . मरीजों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ करके उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है . एक सवाल के जवाब में डॉ मदनानी ने कहा कि आयुर्वेद में एनेस्थिया नहीं है जबकि आज की तारिख में बिना एनेस्थिया के कोई ओप्रशन संभव ही नहीं है , साथ में मिसोपेथी से एमबीबीएस डिग्री ही अमान्य जैसी हो जाएगी . सरकार अगर उनकी बात नहीं मानती है तो 8 दिसंबर को सांकेतिक आंदोलन करेंगे और ११ दिसंबर को कोविद सर्विस को छोड़ कर कोई सर्विस नहीं करेंगे . दूसरी तरफ लाल बहादुर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अवधेश कुमार का कहना है कि आयुर्वेद में शलय चिकित्सा बहुत पुराणी विधा है , आचार्य शुश्रुत ने 300 प्रकार के शल्य चिकित्सा का वर्णन किया है और बहुत से शल्य उपकरण की बात है जिसका आज की तारिख में आधुनिकीकरण हो गया है . बहुत से छोटे छोटे शल्य चिकित्सा का इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है . इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि वे आयुर्वेद में सर्जरी का विरोध नहीं करते हैं लेकिन उनको ऐसा प्रसिक्षण दिया जाय और आयुर्वेद में भी आधुनिक दवाइयों का विकास किया जाय , डिग्री का मिक्सअप ना किया जाय . प्रेस वार्ता के दौरान डॉ राजेश मौर्य , डॉ आशुतोष , डॉ सुजीत आदि मौजूद थे .

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